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अनुकरण

Dil se
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३१ दिसंबर की कारकाडती सर्दी | इसके बावजूद परिसर मे काफी गहमागहमी थी क्यूंकि आज मित्तल साहब का रिटायरमेंट था | वह अपने विभाग के एक उच्च अधिकारी के पद से अवकाश ग्रहण कर रहे थे | शाम को ऑफिस की ओर से विदाई पार्टी का आयोजन था जिसमे सभी अधिकारी सपरिवार आमंत्रित थे | सबसे अच्छी बात यह थी कि इस अवसर पर मित्तल साहब के सभी भाई-बहन , रिश्तेदार व बेटे-बहू दूर-दूर से पहुँचे थे | उनकी पारिवारिक एकता काबिले तारीफ थी जैसा कि अब तक हर त्यौहार व आयोजन पर इतने सालों से सबने देखा था |

शाम के समारोह मे भी यही मुद्दा सर्वोपरि था | हर अधिकारी अपने भाषण मे उनकी कार्यप्रणाली से ज्यादा उनकी पारिवारिक एकता कि तारीफ़ कर रहा था | अंत मे सिन्हा साहब की बारी आई , जिनको मित्तल साहब के रिटायरमेंट के बाद , रिक्त हुए उसी पदभार को ग्रहण करना था | सिन्हा साहब ने भी अपने भाषण मे उनकी पारिवारिक एकता की भूरि-भूरि प्रशंसा की और सभी को उनका अनुकरण करने को कहा | जबकि इन्ही सिन्हा साहब की पहली पत्नी गाँव मे दो बच्चों के साथ रहती थीं और दूसरी नियुक्ति स्थल पर तीन बच्चों के साथ | और इसी वजह से परिवार का कोई व्यक्ति उनके घर कभी झाँकने भी नहीं आता था |

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