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फेसबुकिया माँ

Dil se
Dil se
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तवा चढ़ा कर ,उसपर रोटी डाली ही थी कि ऊपर से धड़ाम की आवाज के साथ जोर से बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी | ‘ हे भगवान ! आज फिर इसने बेड से अपना बच्चा गिराया | दो ही महीनों में तीसरी बार …….| ‘ बड़बड़ाती हुई मैं फटाफट सीढियाँ चढ़कर ऊपर पहुँच गई |
बच्चा अभी भी जार – जार रो रहा था | ‘ सारा दिन तो तू ऑफिस में रहती है और बच्चा क्रेच में | शाम को चार -छः घंटे भी तुझसे अपना बच्चा नहीं संभाला जाता | अरे !…..आठ महीने का जीता – जागता बच्चा है वो कोई खिलौना नहीं ……जो आये दिन तू उसे बेड से गिराती फिरती है | आखिर इतना जरुरी कौन सा काम कर रही थी तू ? ‘ मैं अपनी नई किरायेदारिन पर ऐसे बरस रही थी जैसे उसकी सगी माँ होऊं |
‘आंटी ……आंटी वो फेसबुक पर अपना स्टेटस अपडेट कर रही थी | ‘ संजू रुआंसी हो उठी |
मैंने पलटकर देखा , उसका लैपटॉप खुला हुआ था और स्टेटस था -‘ एन्जोयिंग मदरहुड ऐट होम | ‘
‘हे फेसबुकिया माँ ! , आजा आकर एक बार और अपना स्टेटस अपडेट कर कि इस स्टेटस अपडेट के चक्कर में अपना बच्चा बेड से गिरा दिया | ‘मेरा पारा अभी भी सातवें आसमान पर था |

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